हर मिनट फोन चेक करने की है आदत? हो चुके हैं Popcorn Brain के शिकार, मेंटल हेल्थ की वाट लगा देगी ये प्रॉब्लम
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हर मिनट फोन चेक करने की है आदत? हो चुके हैं Popcorn Brain के शिकार, मेंटल हेल्थ की वाट लगा देगी ये प्रॉब्लम


What Is Popcorn Brain: मानसिक स्वास्थ्य आज के समय में एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में यदि आप हर समय फोन चेक करते रहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है.

 

हर मिनट फोन चेक करने की है आदत? हो चुके हैं Popcorn Brain के शिकार, मेंटल हेल्थ की वाट लगा देगी ये प्रॉब्लम

आज की डिजिटल दुनिया में हम सभी लगातार सूचनाओं से घिरे रहते हैं. स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप तक, हर तरफ से हमें सूचनाओं की बौछार होती रहती है. इससे दिमाग पर क्या असर होता है, शायद आपने इस बारे में नहीं सोचा होगा. विशेषज्ञों के अनुसार, इस डिजिटल युग में "पॉपकॉर्न ब्रेन" (Popcorn Brain) नाम की एक नई समस्या तेजी से सामने आ रही है. 

क्या है पॉपकॉर्न ब्रेन?

पॉपकॉर्न ब्रेन एक तरह से दिमाग की कमजोर स्थिति है, जो लगातार किसी न किसी चीज पर ध्यान लगाने की क्षमता को कमजोर कर देती है. ऐसा ज्यादा इंफॉर्मेशन इंटेक के कारण होता है. इसमें दिमाग लगातार एक चीज से दूसरी चीज पर कूदता रहता है और किसी भी एक काम पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है.

पॉपकॉर्न ब्रेन के लक्षण

 - ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई 
एक काम पर मन लगा पाना मुश्किल हो जाता है. बार-बार ध्यान भटकता रहता है और किसी भी चीज को पूरा करने में परेशानी होती है.

 - आसानी से विचलित होना
हर थोड़ी देर में कोई न कोई सूचना दिमाग को भटका देती है. सोशल मीडिया की नोटिफिकेशन या किसी का मैसेज आने पर आप जो कर रहे होते हैं उसे छोड़कर उसे देखने के लिए लालायित रहते हैं.

 - काम को नियंत्रित करने में परेशानी 
दिमाग की खराब एकाग्रता
की वजह से किसी भी काम को पूरा करने में संतुष्टि नहीं मिल पाती. बार-बार यह लगता रहता है कि काम अभी भी अधूरा है.

 - महत्वपूर्ण कार्यों को भूल जाना 
दिमाग सूचनाओं के इतने जाल में उलझ जाता है कि महत्वपूर्ण कार्यों को याद रखना भी मुश्किल हो जाता है.

पॉपकॉर्न ब्रेन आपके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है

दिमाग की कमजोर एकाग्रता की वजह से काम की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर असर पड़ता है. सूचनाओं की अधिकता दिमाग पर बोझ बन जाती है, जिससे तनाव और घबराहट बढ़ने लगती है. हर काम में असफलता का आभास होने से मन निराश हो सकता है और अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है. दिमाग की कमजोर स्थिति के कारण दूसरों से जुड़ाव कमजोर पड़ सकता है और रिश्तों में भी दरार आ सकती है.

ध्यान रखें

अगर आप भी इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो अपनी डिजिटल आदतों पर थोड़ा ध्यान दें. नोटिफिकेशन आने पर जरूरी नहीं हर सूचना को तुरंत देखना. अपने दिमाग को आराम देने के लिए समय-समय पर ब्रेक लें और किसी शांत जगह पर कुछ देर बिताएं.

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